छत्तीसगढ़

क्रेडा विभाग संकट में: बजट की कमी से ठप्प पड़े कार्य, कर्मचारियों को नहीं मिला वेतन…

राज्य सरकार से फंड की अनुपलब्धता के कारण योजनाओं पर लगा ब्रेक, किसानों और हितग्राहियों को हो रही असुविधा।

रायपुर:- राज्य सरकार द्वारा स्थापित विभिन्न विभागों का उद्देश्य प्रदेशवासियों को सुविधाएं उपलब्ध कराना और योजनाओं का समय पर क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है। लेकिन सरकार बदलने के बाद कई विभागों में बजट की कमी के चलते कार्य ठप पड़ते नजर आ रहे हैं। इन्हीं में से एक है क्रेडा (छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास प्राधिकरण) विभाग, जो इन दिनों भारी वित्तीय संकट से जूझ रहा है।

बजट जारी न होने के कारण न केवल विभाग के कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट अधर में लटक गए हैं, बल्कि अधिकारियों और कर्मचारियों को भी वेतन का भुगतान नहीं हो पाया है। इस स्थिति ने न केवल योजनाओं के संचालन को प्रभावित किया है, बल्कि किसानों और आम नागरिकों के बीच निराशा का माहौल पैदा कर दिया है।

प्रमुख समस्याएं और योजनाएं जो प्रभावित हो रही हैं

  1. मेंटेनेंस और सुरक्षा कार्य ठप:
    सौर ऊर्जा से जुड़े संचालन, संधारण और रखरखाव के लिए आवश्यक त्रैमासिक बजट अब तक नहीं मिला है। कई जिलों में मेंटेनेंस का काम रुका पड़ा है, जिससे किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
  2. आउट ऑफ वारंटी संयंत्रों का संचालन बंद:
    बजट की कमी के कारण आउट ऑफ वारंटी सोलर संयंत्रों की मरम्मत और संचालन का कार्य ठप पड़ा हुआ है।
  3. सोलर और बायोगैस योजनाओं पर रोक:
  • सौर सामुदायिक सिंचाई योजनाएं पूरी तरह बंद हो चुकी हैं।
  • सोलर पावर प्लांट, बायोगैस संयंत्र, सोलर वाटर हीटर, सोलर कुकर, जल शुद्धिकरण संयंत्र और सोलर कोल्ड स्टोरेज पर अनुदान लंबित है।
  1. सेफ्टी सामग्री की कमी:
    सेवाकर्ता इकाइयों के लिए आवश्यक सुरक्षा सामग्री की उपलब्धता में कमी आई है। जिला स्तर पर लगातार मांग उठने के बावजूद बजट के अभाव में इसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है।

अधिकारियों और कर्मचारियों का हाल…
फंड की कमी का सबसे अधिक असर विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर पड़ा है। उन्हें कई महीनों से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा है।

राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल?…
सरकार बदलने के 10 महीने से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक क्रेडा विभाग को फंड जारी नहीं किया गया है। इससे विभागीय कार्य रुक गए हैं, और हितग्राहियों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। अब सवाल यह उठता है कि:

  • राज्य सरकार फंड जारी करने में इतनी देरी क्यों कर रही है?
  • क्या यह संकट राजनीतिक प्राथमिकताओं का परिणाम है?
  • किसानों और हितग्राहियों को राहत कब मिलेगी?

बहरहाल क्रेडा विभाग का संकट प्रदेश में अक्षय ऊर्जा योजनाओं को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। यह न केवल किसानों और हितग्राहियों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि राज्य सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठाता है। यदि जल्द ही बजट जारी नहीं किया गया, तो यह संकट और गहराता जाएगा, जिससे प्रदेश के विकास और ऊर्जा क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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