बड़ी लापरवाही हुई उजागर…
रायगढ़। सूत्रों के अनुसार, पुलिस द्वारा जब्त किए गए विभिन्न मामलों के अनुपयोगी सामानों के निपटान में बड़ी लापरवाही सामने आई है। इन सामानों में महुआ पास, कांच और प्लास्टिक की बोतलें, देशी-विदेशी शराब की शीशियां, लकड़ी के डंडे, लोहे के नुकीले औजार और खून से सने कपड़े जैसे संवेदनशील सामग्रियां शामिल हैं। इन सामानों को नियमों को ताक पर रखकर राठी साल्वेंट के पीछे स्थित खुले मैदान में बेतरतीब ढंग से फेंक दिया गया है। वहीं, पुलिस द्वारा तय मानकों के तहत इन अनुपयोगी सामग्रियों के निपटान की प्रक्रिया अपनाने की बजाय, इन्हें खुले में जलाने की कोशिश की गई। लेकिन यह प्रयास भी विफल रहा, क्योंकि महज 30% सामान ही जल पाया, जबकि 70% कचरा वहीं बिखरा हुआ है।
पर्यावरणीय और सामाजिक संकट….
इस लापरवाही का असर न केवल पर्यावरण पर पड़ रहा है, बल्कि आसपास के जीव-जंतुओं और मानव जीवन पर भी खतरा मंडरा रहा है। फेंके गए कचरे के पास मवेशी चरते हुए देखे गए, जबकि लोग इस कचरे में उपयोगी सामान ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। खुले मैदान में पड़े कचरे से बदबू और प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।
कानूनी नियमों की अनदेखी….
जप्तशुदा सामानों के उचित निपटान के लिए स्पष्ट सरकारी मापदंड मौजूद हैं। ऐसे में पुलिस द्वारा इस तरह की लापरवाही गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या यह प्रशासन की कार्यशैली में व्याप्त ढिलाई और गैर-जिम्मेदारी का प्रतीक नहीं है?
बहरहाल पर्यावरणीय संतुलन और जनजीवन की सुरक्षा के लिए कचरे के उचित निपटान की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाना चाहिए। यह घटना न केवल प्रशासनिक उदासीनता का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक स्वास्थ्य की घोर उपेक्षा का भी उदाहरण है।