नगर पंचायत में सूचना के अधिकार की धज्जियां, भ्रष्टाचार की चुप्पी ।
जानकारी मांगो पूरी, देंगे अधूरी – मांगा शेर, दी बकरी….
सरिया। नगर पंचायत सरिया में सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम की स्थिति अत्यंत दयनीय है। पिछले पांच वर्षों का कार्यकाल घोटालों, बंदरबांट और अनियमितताओं से भरा रहा है। राशन घोटाला, बोर घोटाला, पाइपलाइन घोटाला, स्ट्रीट लाइट घोटाला, जिम घोटाला, रिकॉर्ड कमीशन खोरी और गोठान घोटाला जैसे कई गंभीर आरोप नगर पंचायत पर लग चुके हैं। इसके साथ ही गुणवत्ता विहीन विकास कार्य और शासकीय संपत्ति की बंदरबांट ने नगर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता जयप्रकाश सोनी के अनुसार, सूचना के अधिकार के तहत नगर पंचायत से जानकारी मांगने पर न केवल अधूरी जानकारी दी जाती है, बल्कि समय और पैसा बर्बाद करने की सुनियोजित कोशिश भी की जाती है। उन्होंने पार्षद मद और अध्यक्ष मद के तहत किए गए कार्यों का विवरण मांगा था। जानकारी के अनुसार, पिछले 5 वर्षों में अध्यक्ष मद के तहत 50 लाख और प्रत्येक पार्षद मद में 12 लाख रुपये आवंटित हुए। लेकिन शासन को इनमें से एक भी रुपया वापस नहीं गया।
आधी-अधूरी जानकारी, भ्रष्टाचार छुपाने की साजिश…
जयप्रकाश सोनी का आरोप है कि नगर पंचायत ने उनके 15 आरटीआई आवेदनों में से किसी भी आवेदन का पूरा जवाब नहीं दिया। पांच साल के रिकॉर्ड की मांग पर महज दो साल की जानकारी दी गई, जिसे ‘पूर्ण’ करार दिया गया। यह भ्रष्टाचार छुपाने और आरटीआई कार्यकर्ताओं को हतोत्साहित करने का प्रयास है।आरटीआई की प्रक्रिया में 3 महीने से अधिक समय और प्रति आवेदन लगभग 150 रुपये खर्च होते हैं। इसके बावजूद अधूरी जानकारी देकर कार्यकर्ताओं को भ्रमित किया जा रहा है। जयप्रकाश ने राज्य सूचना आयोग को अपील करते हुए नगर पंचायत पर भ्रष्टाचार और नियमों की अनदेखी के आरोप लगाए हैं।
भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का खेल?…
आरटीआई कार्यकर्ताओं का आरोप है कि अधूरी जानकारी देना नगर पंचायत की रणनीति बन गई है। इसके जरिए जनता के पैसे की बंदरबांट और भ्रष्टाचार को छुपाने का प्रयास किया जा रहा है। जनप्रतिनिधियों और नगर प्रशासन के इस रवैये से न केवल पारदर्शिता खत्म हो रही है, बल्कि सूचना का अधिकार अधिनियम की मूल भावना का भी हनन हो रहा है।
राज्य सूचना आयोग से हस्तक्षेप की मांग…
जयप्रकाश सोनी ने राज्य सूचना आयोग से अपील की है कि नगर पंचायत सरिया की इस प्रक्रिया पर सख्त कार्रवाई हो। उन्होंने मांग की है कि आरटीआई के तहत मांगी गई सभी जानकारी को पारदर्शी और पूर्ण रूप से प्रदान किया जाए ताकि जनता के पैसे का सही उपयोग सुनिश्चित हो सके।
नगर पंचायत का गोल्डन कार्यकाल या घोटालों का काल?…
नगर पंचायत सरिया का पिछले 5 साल का कार्यकाल एक ‘गोल्डन कार्यकाल’ के रूप में प्रचारित किया गया, लेकिन वास्तविकता इससे कोसों दूर है। भ्रष्टाचार और अनियमितताओं ने इसे बदनामी की चपेट में ला दिया है। जनता की निगरानी और पारदर्शिता की कमी से आम नागरिकों का प्रशासन पर से विश्वास उठता जा रहा है।
आखिर कब तक ‘शेर’ मांगने पर ‘बकरी’ दी जाएगी? राज्य सूचना आयोग को इस मामले में जल्द कदम उठाना चाहिए ताकि जनता के अधिकारों का सम्मान और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके।