बड़ी खबर: 2 एकड़ शासकीय भूमि पर शिक्षक का अतिक्रमण , अवैध कब्जे के खिलाफ ग्रामवासियों ने कलेक्टर जनदर्शन में सौपा ज्ञापन ।
प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल?…
रायगढ़/ ग्राम पंचायत आमापाली। ग्रामवासियों ने कलेक्टर कार्यालय का रुख करते हुए शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे को हटाने की मांग की है। यह मुद्दा केवल जमीन के एक टुकड़े का नहीं, बल्कि ग्रामीण न्याय और प्रशासनिक जवाबदेही का भी है। ज्ञापन में ग्रामवासियों ने खसरा नंबर 105 की लगभग 2 एकड़ शासकीय भूमि, जिसमें लोकशक्ति तालाब भी शामिल है, पर अवैध कब्जे का आरोप लगाया है।
कब्जाधारी का कद और प्रभाव…
ग्रामवासियों के अनुसार, यह अवैध कब्जा किसी आम व्यक्ति का नहीं, बल्कि जयप्रकाश पटेल उर्फ पन्ना गुरुजी का है, जो एक शासकीय शिक्षक हैं। पटेल का पैतृक गांव डूमरपाली है, जहां उनके पास पहले से ही पर्याप्त कृषि भूमि और आवासीय संपत्ति है। इसके बावजूद उन्होंने आमापाली की शासकीय भूमि पर कब्जा कर अपना व्यावसायिक केंद्र स्थापित कर लिया है। यह मामला और गंभीर हो जाता है जब यह देखा जाता है कि पटेल का पद और प्रभाव न केवल उनके शिक्षकीय कर्तव्यों के साथ मेल नहीं खाता, बल्कि ग्रामवासियों के अधिकारों का भी हनन करता है।
प्रशासनिक उदासीनता….
ग्राम पंचायत आमापाली ने तहसीलदार पुसौर और अन्य उच्च अधिकारियों को इस अवैध कब्जे के खिलाफ प्रस्ताव और आवेदन सौंपे थे। लेकिन महीनों के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। प्रशासन की यह चुप्पी न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि ग्रामीणों के विश्वास को भी हिला रही है।
लोकतांत्रिक प्रक्रिया के दुरुपयोग का आरोप:
ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया है कि पटेल ने अपनी शक्ति और प्रभाव का उपयोग करते हुए आमापाली की मतदाता सूची में अपना नाम फर्जी तरीके से जुड़वाया है। इतना ही नहीं, गांव के शिक्षित युवाओं को झूठे मामलों में फंसाने और धमकी देने जैसी गतिविधियों में भी उनकी संलिप्तता का आरोप लगाया गया है। यह घटनाएं न केवल ग्रामीण सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रही हैं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया का मजाक भी बना रही हैं।
ग्रामवासियों की चेतावनी…
ग्रामवासियों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन शीघ्र कार्रवाई नहीं करता, तो वे आंदोलन के रास्ते पर जाने को मजबूर होंगे। इससे पहले भी, अवैध कब्जों को लेकर जन आंदोलन प्रशासन को जागरूक करने का साधन बना है।
प्रशासनिक कार्रवाई का सवाल:
- क्या प्रशासन का मौन, जाती विशेष के प्रभावशाली लोगों की शक्ति का परिणाम है?
- क्या शासकीय भूमि की सुरक्षा केवल कागजों तक सीमित रह गई है?
- क्या ग्रामीणों के साथ किए गए अन्याय को संबोधित करना प्रशासन की प्राथमिकता में नहीं है?
ग्रामवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि:
- अवैध कब्जे को तुरंत हटाया जाए।
- जयप्रकाश पटेल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
- ग्रामवासियों को झूठे मामलों में फंसाने के आरोपों की निष्पक्ष जांच हो।
समाज के लिए बड़ा संदेश:
यह घटना केवल एक ग्राम पंचायत तक सीमित नहीं है। यह प्रशासनिक निष्क्रियता और प्रभावशाली लोगों द्वारा अपने पद के दुरुपयोग का उदाहरण है। यदि समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह अन्य स्थानों पर भी ऐसा ही प्रचलन बनने का मार्ग प्रशस्त करेगा। ग्रामवासियों की यह लड़ाई न केवल उनकी भूमि के लिए, बल्कि अपने अधिकारों और न्याय की स्थापना के लिए भी है। यह देखना होगा कि प्रशासन अपने दायित्व को कब समझेगा और न्याय सुनिश्चित करेगा।