रायगढ़

सिन्हा मोटर्स में लगी रहस्यमयी आग: 14 कारें जलकर खाक, करोड़ों की क्षति के बाद भी आरोपी खुलेआम, पीड़ित न्याय के लिए भटक रहा ।

रायगढ़/लैलूंगा:- छत्तीसगढ़ में नगर पंचायत चुनाव के दौरान एक सनसनीखेज घटना ने सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक निष्क्रियता पर सवाल खड़ा कर दिया है। रायगढ़ जिले के लैलूंगा क्षेत्र अंतर्गत कोतबा रोड स्कूकेला में स्थित सिन्हा मोटर्स में 6 फरवरी 2025 की रात को भीषण आग लग गई, जिसमें 14 चार पहिया वाहन, 4 इंजन, मशीने, महंगे पार्ट्स, कीमती फर्नीचर सहित करोड़ों रुपये मूल्य की संपत्ति जलकर राख हो गई। पीड़ित अपरांश सिन्हा, जो इस दुकान के संचालक हैं, का आरोप है कि यह आगजनी एक साजिश के तहत कराई गई थी, लेकिन तीन महीने से अधिक बीत जाने के बावजूद न तो पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई और न ही किसी आरोपी की गिरफ्तारी हो पाई है।

अपरांश सिन्हा, निवासी वार्ड क्रमांक 12, शांति नगर, लैलूंगा ने पुलिस महानिरीक्षक, बिलासपुर को एक शिकायती पत्र भेजते हुए इस पूरे घटनाक्रम पर गंभीर चिंता जताई है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि वे वर्ष 2020 से अपने गैरेज व्यवसाय के माध्यम से परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे। लेकिन 6 फरवरी की रात करीब 1 बजे के बाद अचानक दुकान में आग लग गई और सब कुछ जलकर खाक हो गया। घटना की सूचना मिलते ही वह तत्काल घटनास्थल पर पहुंचे और पुलिस को सूचित किया।

स्थानीय लैलूंगा पुलिस ने घटना के तुरंत बाद एक प्रारंभिक एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन उसके बाद चुनावी व्यस्तताओं और अन्य कारणों का हवाला देते हुए मामले की जांच को टाल दिया गया। अब तक की जांच में कोई ठोस प्रगति नहीं हो सकी है, जिससे पीड़ित के न्याय की उम्मीदें धूमिल होती जा रही हैं।

अपरांश सिन्हा ने अपने पत्र में बताया कि इस घटना से न केवल उनका व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो गया, बल्कि उन पर बैंकों और बाजार का भारी कर्ज भी चढ़ गया है। रोज़गार छिन जाने के कारण उनके परिवार को आजीविका का संकट भी झेलना पड़ रहा है। बावजूद इसके, पुलिस की ढुलमुल कार्यप्रणाली और निष्क्रियता ने उन्हें निराश किया है।

उन्होंने अपने आवेदन की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और पुलिस महानिदेशक को भी भेजी है, ताकि इस मामले में उच्चस्तरीय हस्तक्षेप हो और अपराधियों को जल्द से जल्द न्यायिक प्रक्रिया के तहत सजा दिलाई जा सके।

यह घटना सिर्फ एक पीड़ित व्यापारी की व्यथा नहीं है, बल्कि यह प्रदेश की कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक संवेदनशीलता पर गहरे सवाल उठाती है। जब चुनाव के समय में सुरक्षा इतनी कमजोर हो कि एक रात में पूरी दुकान राख कर दी जाए और तीन महीने तक कोई ठोस कार्रवाई न हो, तो यह चिंता का विषय है।

पीड़ित परिवार की मांग है कि इस घटना की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए, संदिग्धों की गिरफ्तारी की जाए और पीड़ित को सरकार द्वारा उचित मुआवजा दिया जाए, ताकि वह दोबारा अपने जीवन को पुनः पटरी पर ला सके।

अब देखना यह है कि शासन-प्रशासन इस गंभीर प्रकरण पर क्या रुख अपनाता है — न्याय दिलाने की दिशा में तत्परता दिखाता है या फिर पीड़ित को इसी तरह दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया जाएगा।

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