सरपंच की कुर्सी डोलते ही भाग खड़े हुए जनसेवक , ग्रामीणों के सवालों से बचने पंचायत से हुआ रफूचक्कर ।

किशुननगर, सरगुजा | जनता की अदालत में जब सवाल उठते हैं, तो असली जनसेवक वहीं टिकते हैं लेकिन किशुननगर ग्राम पंचायत में कुछ और ही नज़ारा देखने को मिला। विशेष ग्राम सभा के दौरान जब ग्रामीणों ने अपने जनप्रतिनिधि से सवाल-जवाब करने शुरू किए, तो सरपंच महोदय खुद ही जवाब देने की बजाय पंचायत छोड़कर फरार हो गए!

घटना तब हुई जब 25 जून को सरगुजा जिलेभर में आयोजित की जा रही ग्राम सभाओं के अंतर्गत किशुननगर पंचायत में भी विशेष ग्राम सभा रखी गई थी। सभा में जैसे ही ग्रामीणों ने राशन वितरण, विकास कार्यों में पारदर्शिता और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर तीखे सवाल उठाए, तो सरपंच साहब की बोलती बंद हो गई। पहले कुर्सी से उठे, फिर सभा से उठे और देखते ही देखते पंचायत भवन से बाहर निकल गए। जनता भौचक्की रह गई कि जिसे उन्होंने विश्वास कर चुना, वो आज सवालों से भाग खड़ा हुआ। ग्रामीणों का कहना है कि हम तो जवाब मांगने आए थे, पर जनप्रतिनिधि जवाब देने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। ये लोकतंत्र का अपमान है। वहीं दूसरी ओर, पंचायत सचिव रति करकेटा का नाम भी अब ग्रामीणों की नाराज़गी के केंद्र में है। ग्रामीणों का आरोप है कि सरपंच और सचिव की आपसी मिलीभगत से शासकीय योजनाओं की जानकारी गाँववालों तक पहुँचने ही नहीं दी जाती, और ना ही कोई भी विकास कार्य में इनकी रुचि नजर आती है। सभा में उपस्थित कुछ वरिष्ठ नागरिकों ने इस हरकत की कड़ी निंदा की। उनका कहना है कि सरपंच का यूं सभा से उठकर चले जाना, और सचिव का मौन रहना – जनता के साथ विश्वासघात है।
अब सवाल ये है कि….
क्या जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी सिर्फ कुर्सी तक सीमित है?
क्या सवालों से भागकर विकास की बातें की जा सकती हैं?
और क्या प्रशासन इस घटना का संज्ञान लेगा?
सुरेश गाईन । जो कि इस पूरे घटनाक्रम का कवरेज कर रहा था, ने भी इसे “जनता की आवाज़ से डरने वाला प्रशासन” करार दिया है।
बहरहाल सरपंच महोदय कहां गए? सचिव कब जवाब देंगी? — इसका जवाब शायद अगली ग्राम सभा तक कोई नहीं दे पाएगा।
