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एसईसीएल के खिलाफ ग्रामीणों का आक्रोश: पुनर्वास और मुआवजे की मांग को लेकर बिजारी खुली खदान में अनिश्चितकालीन हड़ताल…

ग्रामीण बोले- हमें केवल आश्वासन मिला, समस्याएं जस की तस

रायगढ़/ जिले के घरघोड़ा क्षेत्र में स्थित साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की बिजारी खुली खदान के खिलाफ ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा है। ग्रामीणों ने 12 दिसंबर से खदान के गेट पर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। वे उचित पुनर्वास, मुआवजे और रोजगार जैसी बुनियादी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि पिछले दो सालों से प्रबंधन केवल आश्वासन दे रहा है, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान आज तक नहीं हुआ।

ग्रामीणों की मुख्य समस्याएं और आरोप….

  1. कृषि भूमि का नुकसान….
    खदान में कोयला उत्खनन के कारण आसपास की कृषि भूमि बर्बाद हो चुकी है। प्रदूषण और खदान से निकलने वाले मलबे की वजह से बची हुई जमीन भी बंजर हो रही है। इससे ग्रामीणों की आजीविका पर गहरा संकट पैदा हो गया है।
  2. मकानों को नुकसान….
    खदान में हो रही ब्लास्टिंग से ग्रामीणों के घरों में दरारें पड़ गई हैं। कई मकान रहने लायक नहीं बचे, लेकिन मुआवजे के नाम पर आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि उनके मकानों का 2018 में सर्वे हुआ था, लेकिन मुआवजे के लिए केवल तारीखें ही मिलती हैं।
  3. रोजगार का अभाव….
    ग्रामीणों का कहना है कि उनकी जमीन अधिग्रहण के बाद उनकी आजीविका खत्म हो गई। अब वे खदान में योग्यता अनुसार रोजगार की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा खदान में काम कर रहे सात लोगों को दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया गया है, जिसे वापस बिजारी खदान में लाने की मांग हो रही है।
  4. स्वास्थ्य और पानी की समस्याएं….
    ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि खदान के कारण क्षेत्र में पानी की समस्या गंभीर हो गई है। प्रदूषण से स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है, लेकिन कंपनी इन समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है।

पूर्व के आश्वासन अधूरे….
ग्रामीणों ने बताया कि 2022 में भी उन्होंने हड़ताल की थी, जिसके बाद कंपनी प्रबंधन ने समस्याओं के समाधान का आश्वासन देकर आंदोलन समाप्त कराया था। लेकिन दो साल बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। ग्रामीणों का कहना है कि अगर इस बार भी कंपनी ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो वे हड़ताल को और उग्र करेंगे।

कोयला उत्पादन और परिवहन ठप…
ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन के कारण खदान में कोयला उत्खनन और परिवहन पूरी तरह ठप हो गया है। खदान गेट पर धरना दे रहे ग्रामीणों के कारण सैकड़ों भारी वाहन खड़े हैं। इससे एसईसीएल को भारी नुकसान हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रदर्शन लंबा चला, तो उत्पादन में गिरावट से कंपनी की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो सकती है।

ग्रामीणों की चेतावनी…
हड़ताल पर बैठे ग्रामीणों ने साफ कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उनकी मांगें हैं कि मकानों का उचित मुआवजा और पुनर्वास , योग्यता के अनुसार खदान में रोजगार , प्रदूषण और जल संकट का समाधान किया जाए।

प्रबंधन की चुप्पी पर सवाल?…
अब तक एसईसीएल प्रबंधन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। ग्रामीणों ने इसे उनकी समस्याओं के प्रति उदासीन रवैया बताया है।

बहरहाल इस तरह के आंदोलनों का समाधान सिर्फ संवाद और उचित कार्रवाई से हो सकता है। अगर समय रहते कंपनी ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह प्रदर्शन बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है, जिससे न केवल कंपनी बल्कि क्षेत्र के विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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