
पढ़े पूरी खबर। जानिए क्या है पूरा मामला…
बिलासपुर/ बिलासपुर जिला अस्पताल में डॉक्टर बंदना चौधरी की कथित लापरवाही ने मस्तूरी निवासी सुमन निर्णेजक को मौत के मुंह में धकेल दिया। नसबंदी ऑपरेशन के दौरान हुई गलतियों और इलाज में लापरवाही के चलते मरीज की हालत गंभीर हो गई। परिजनों ने प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है।
जानिए क्या है पूरा मामला…
सुमन निर्णेजक (30), दो बच्चों की मां, नसबंदी ऑपरेशन के लिए 20 दिसंबर 2024 को जिला अस्पताल बिलासपुर पहुंची थीं। डॉक्टर बंदना चौधरी ने खून की जांच कराने की सलाह दी, जिसके बाद 23 दिसंबर को रिपोर्ट लेकर परिजन डॉक्टर के पास गए। डॉक्टर ने ऑपरेशन में देरी की और मरीज को उनके निजी अस्पताल “एमकेबी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल” भेजने का सुझाव दिया, जहां इलाज के लिए 15,000 रुपये का खर्च बताया गया।

24 दिसंबर को ऑपरेशन के बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई, लेकिन सुमन लगातार उल्टी और सांस लेने में तकलीफ से जूझती रहीं। परिजनों के आग्रह के बावजूद डॉक्टर बंदना चौधरी ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और घर जाकर दी गई दवाइयां खिलाने का निर्देश दिया।
स्थिति हुई गंभीर…..
25 दिसंबर की रात हालत बिगड़ने पर परिजन मरीज को जिला अस्पताल ले गए। डॉक्टर बदना चौधरी अनुपस्थित थीं। वहां मौजूद डॉक्टरों ने प्रारंभिक इलाज शुरू किया। सुबह सिटी स्कैन से पता चला कि मरीज की बड़ी आंत में छेद है और संक्रमण पूरे शरीर में फैल चुका है।
अस्पताल से अपोलो तक की जद्दोजहद….
स्थिति की गंभीरता देखते हुए मरीज को अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि मरीज की जान बचाने की संभावना बेहद कम है। वेंटीलेटर पर रखकर इलाज जारी है।
परिजनों का आरोप और प्रशासन से अपील….
परिजनों ने डॉक्टर बंदना चौधरी पर लापरवाही और आर्थिक लाभ के लिए मरीज को उनके निजी अस्पताल भेजने का आरोप लगाया। इस घटना ने जिला अस्पताल की कार्यप्रणाली और डॉक्टर की नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रशासन की चुप्पी और स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल…
यह घटना जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और डॉक्टरों की जवाबदेही की कमी को उजागर करती है। परिजनों ने जिला प्रशासन से सुमन के इलाज में देरी और लापरवाही के लिए जिम्मेदार डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
बहरहाल यह मामला अस्पताल प्रबंधन में सुधार और डॉक्टरों की जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग को मजबूती प्रदान करता है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग को इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।