विद्या के मंदिर में महिला शिक्षिका को मानसिक प्रताड़ना, चार महीने से रुका वेतन
पीड़िता मानसिक तनाव और स्वास्थ्य पर बुरा असर…
रायगढ़, लैलूंगा – शिक्षा का मंदिर जहां बच्चों को नई राह दिखाने और राष्ट्र निर्माण के उद्देश्य से शिक्षा प्रदान की जाती है, वहीं एक विद्यालय में महिला शिक्षिका को मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है। रायगढ़ जिले के लैलूंगा विकासखंड में स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, लारी पानी में पदस्थ व्याख्याता, कुमारी पूर्णिमा अनंत , जो अंग्रेजी विषय की शिक्षिका हैं और अनुसूचित जाति से आती हैं, को स्कूल के प्रभारी प्राचार्य और अन्य स्टाफ से प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है।
पीड़िता का आरोप है कि उनके साथ सामान्य व्यवहार नहीं किया जाता, और प्रभारी प्राचार्य श्रीमती बिंदु एक्का, पूर्व प्रभारी महेश राम नाग, तथा बोर्ड प्रभारी कोमल सिंह तोमर समेत अन्य स्टाफ उन्हें जानबूझकर परेशान करते हैं। महिला शिक्षिका समय पर विद्यालय पहुंचती हैं, लेकिन उपस्थिति पंजी या तो बंद कर दी जाती है या प्राचार्य के निवास पर ले जाया जाता है, जिससे उनकी उपस्थिति दर्ज नहीं हो पाती।
वेतन रोक कर किया जा रहा आर्थिक शोषण….
महिला शिक्षिका का चार महीने का वेतन रोका गया है, जिससे वे आर्थिक तंगी का सामना कर रही हैं। इसके साथ ही, उन्हें विद्यालय में जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि वे वहां अकेली अनुसूचित जाति की शिक्षिका हैं। प्राचार्य पर यह भी आरोप है कि वे अन्य शिक्षकों को मनमानी छुट्टी देते हैं, और विभिन्न शैक्षिक प्रमाणपत्रों और फीस के नाम पर बच्चों से पैसा वसूलते हैं।
मानसिक तनाव और स्वास्थ्य पर बुरा असर…
महिला शिक्षिका ने बताया कि इस भेदभाव और प्रताड़ना के चलते उनका स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ है, और वे मानसिक रूप से बेहद तनाव में हैं। पिछले नौ महीनों से उनका वेतन रोका जा रहा है, और यहां तक कि ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान भी अनुपस्थित दिखाया गया, जबकि उन्होंने निर्वाचन कार्य में हिस्सा लिया था। अन्य स्टाफ और छात्रों को भी उनसे बात करने से मना किया गया है, जिससे शिक्षण कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है।
पीड़िता द्वारा दिए गए आवेदन पर भी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है, और उनके साथ लगातार मानसिक प्रताड़ना जारी है। इस संदर्भ में उच्चाधिकारियों से हस्तक्षेप और न्याय की मांग की जा रही है, ताकि शिक्षिका को न्याय मिल सके और इस तरह के भेदभावपूर्ण रवैये पर रोक लगाई जा सके।